Life Lessons for Kids: बच्चों को सिखाएं महात्मा गांधी के ये 5 आदर्श, बन जाएगा जीवन

बापू का जन्म 1869 में पोरबंदर, गुजरात में हुआ था और अपने जीवन के 21 वर्ष उन्होंने साउथ अफ्रीका में बिताए थे. निम्न बापू के जीवन से जुड़ी और खुद बापू के द्वारा सिखाई गई वो बातें हैं जो आप भी अपने बच्चों को समझा-सिखा सकते हैं.
Life Lessons for Kids: बच्चों को सिखाएं महात्मा गांधी के ये 5 आदर्श, बन जाएगा जीवन

महात्मा गांधी को संसार बापू के नाम से जानता है. बच्चों को स्कूल में हर साल बापू के आदर्शों, अहिंसा और सत्य, पर चलने का महत्व समझाया जाता है. लेकिन, और भी कई जीवन से जुड़ी सीख हैं जिन्हें बच्चों को सिखाया जा सकता है.

हर साल 2 अक्टूबर का दिन महात्मा गांधी यानी मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) की जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है.

बापू का जन्म 1869 में पोरबंदर, गुजरात में हुआ था और अपने जीवन के 21 वर्ष उन्होंने साउथ अफ्रीका में बिताए थे. निम्न बापू के जीवन से जुड़ी और खुद बापू के द्वारा सिखाई गई वो बातें हैं जो आप भी अपने बच्चों को समझा-सिखा सकते हैं. 

महात्मा गांधी से मिलने वाली जीवन की सीख -

अंहिसा -

अहिंसा परमो धर्म के आदर्श पर चलने वाले गांधी जी (Gandhi Ji) का मानना था कि हिंसा किसी भी बात का जवाब नहीं हो सकती. अगर कोई मुश्किल या अनबन है तो उसे अहिंसा से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. इसी से शांति बनी रह सकती है.

दृणता -

जीवन में यदि व्यक्ति कुछ ठान ले तो चाहे कुछ भी हो जाए उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए हर कोशिश करनी चाहिए. यह व्यक्ति की दृणता ही है जो उसे हर कठिनाई से लड़ने और पार पाने की शक्ति देती है. यही दृणता गांधी जी के कई आंदोलनों में भी देखने को मिलती है.

बराबरी -

गांधी जी कभी किसी को जात-पात से तोलकर नहीं देखते थे, उनके लिए हर व्यक्ति बराबर था. हमें भी अपने बच्चों (Children) को बराबरी का पाठ पढ़ाना चाहिए भेदभाव का नहीं. ऊंच-नीच का पापड़ा खेलने की उम्र में बच्चों के मन में व्यक्ति या समुदाय के ऊंचे या नीचे होने जैसी बातें कभी नहीं आनी चाहिए.

सब्र -

व्यक्ति अगर सब्र रखेगा तो उसे अपने कर्मों का फल भी अवश्य मिलेगा. कुछ अच्छा काम करके आप तुरंत ही उसका फल नहीं पा सकते या फिर आपकी मेहनत का फल भी आपको तुरंत नहीं मिल सकता. बच्चों में सब्र करने के गुर होने चाहिए.

सत्य -

झूठ और कपट से जितना दूर रहा जाए उतना बेहतर है. सच (Truth) बोलने वाला व्यक्ति अपनी बात सिर्फ एक बार कहता है लेकिन झूठे व्यक्ति को पचास बार पचास अलग झूठ बोलने पड़ते हैं और झूठ का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता है.

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