
हिंदू धर्म में विवाह बहुत बड़ा संस्कार है। कई बार ऐसा होता है की लड़का या लड़की की शादी में समय लग जाता है।
माता पिता की चिंताएं भी बड़ जाता है की कब सुयोग्य वर या वधु मिलेंगे। माता पिता दोस्त, रिश्तेदार, जान पहचान वालों से सुयोग्य वर वधु के बारे में पूछते है।
लगभग सबके माता पिता के साथ होता है की जांच पड़ताल के बाद भी सही जोड़ा नहीं मिल पाता है। किसी न किसी वजह से विवाह में लेट हो जाता है हर माता पिता की यही इच्छा होती है उनके बच्चों की शादी सही समय से हो। सुयोग्य वर या वधु मिले।
शादी में देर हो रहा है , शादी को लगातार लगातार परेशानियां बढ़ रही है , तो ज्योतिष शास्त्रों ने कुछ उपाय बताया है। उस उपाय से जल्द ही विवाह तय हो जायेगा।
ज्योतिष के अनुसार विवाह में देरी कुंडली में मौजूद मांगलिक दोष, गुरु और शुक्र का अशुभ भाव में विराजमान होना बताया जाता है। और कई बार वर वधु के कुंडली में दोष होने की वजह से भी लेट हो जाता है।
आइए जानते है की क्यों विवाह में लेट होता है, और निवारण के लिए इसके उपाय...
विवाह में देरी या बाधा आने के कारण :-
ज्योतिष शास्त्रों की गणनाओं के अनुसार कई वजह से विवाह में लेट होता है। जैसे की :–
मांगलिक दोष :-
जिस भी व्यक्ति के कुंडली में अगर मांगलिक दोष है , तो उनके विवाह में अड़चने आती है। अगर वर या वधु मांगलिक है तो उसका विवाह मांगलिक वर या वधु से ही होगा। ऐसा करने से मांगलिक प्रभाव कम हो जाता है और वैवाहिक जीवन सुखमय बितता है।
कुंडली में सप्तमेश का कमजोर होना :-
वर वधु के विवाह की ये स्तिथि बहुत ही खराब मानी जाती है क्योंकि अगर किसी व्यक्ति का सप्तम भाव किसी पापी ग्रह के कारण कमजोर है अथवा वह अपनी नीच राशि में विराजमान है तो कुंडली का सातवां भाव बलहीन हो जाता है। तब इस स्थिति में विवाह को लेकर परेशानियों का आना पक्का है।
कुंडली में गुरु का बलहीन होना :-
कुंडली में विवाह के गुरु बृहस्पति को माना जाता है। तो अगर बृहस्पति किसी नीच राशि के साथ विराजमान है, तब भी विवाह में देरी होगा। ज्योतिषों के अनुसार अगर बृहस्पति अपने नीच राशि मकर में हैं तो तब भी व्यक्ति के विवाह में देरी होगी।
कुंडली में शुक्र ग्रह का नीच का होना :-
सुख और सौंदर्य का कारक शुक्र ग्रह को माना जाता है। पुरुष के लिए शुक्र स्त्री का कारक, वहीं स्त्री की कुंडली में गुरु पति का कारक माना गया है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शु्क्र नीच भाव में विराजमान है तो व्यक्ति के विवाह में अड़चन आना स्वाभाविक है।
नवांश कुंडली में दोष :-
अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में नवांश दोष होता है तब भी शादी में देर होता है।
अन्य कारण :-
कई कारण होते है विवाह में देरी के ;
पितरों का रुष्ठ होना।
ग्रहों का कुंडली के सप्तम भाव में युति का होना।
सातवें घर के स्वामी का नीच ग्रह के साथ आना।
लग्न में मंगल, सूर्य, बुध और गुरु का द्वादश भाव में होना। सूर्य का सप्तम भाव में नीच का होना।
शीघ्र विवाह के कुछ उपाय :-
अगर आपके विवाह में देरी हो रहा है , तो आपके कुछ उपाय करने विवाह समय नहीं लगेगा।
हर मंगलवार को श्री मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करें।
पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें।
मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा करके उन्हें सिंदूर चढ़ाएं और भोग में गुड़-चने लगाएं।
गुरुवार के दिन व्रत रखें और केले के पेड़ की पूजा करके गुरुवार का पाठ करके आरती करें।
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