
इस साल धनतेरस का पर्व बहुत खास रहेगा। एक साथ तीन पर्वों का योग पड़ रहा है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अमृत सिद्धि योग इस पर्व की महत्ता को बढ़ाएंगे। इसके अलावा धनतेरस के दिन धनतेरस प्रदोष व्रत तथा हनुमान जयंती का संयोग एक साथ पड़ रहा है। ऐसा लगभग 27 वर्षों के बाद हो रहा है।
23 अक्टूबर को मनाया जाएगा धनतेरस का पर्व
आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन चिकित्सा जगत के गुरु व देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत का कलश लेकर के हाथ में प्रकट हुए थे। साथ ही मां लक्ष्मी, इंद्र और कुबेर भी प्रकट हुए थे।
आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि धनतेरस पर खरीदारी करने से संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है। वहीं स्थायी संपत्ति खरीदने तथा स्वर्ण, चांदी एवं बर्तन खरीदने से मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है।
धनतेरस पर पूजा और खरीददारी के शुभ मुहूर्त
पूजा का मुहूर्त शाम 5:40 से 8:50 के बीच शुभ
धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, कुबेर एवं धन्वंतरि की एक साथ पूजा करनी चाहिए।
ऐसा करने से आरोग्यता के साथ सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है तथा लक्ष्मी की कृपा बनती है।
धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:40 से 8:50 के बीच शुभ रहेगा।
इस दौरान प्रदोष काल तथा वृषभ लग्न विद्यमान होगा।
वहीं खरीदारी का मुहूर्त प्रातः 7:30 से 12:20 के मध्य श्रेष्यकर रहेगा।
इस समय अवधि में चर लाभ अमृत की चौघड़िया तथा अभिजीत मुहूर्त का संयोग है।
दूसरा मुहूर्त अपराह्न 1:30 बजे से 3:00 के मध्य में है।
इस समय भी शुभ चौघड़िया रहेगी।
तीसरा मुहूर्त शाम को लगभग 5:30 बजे से 8:50 के मध्य अच्छा है।
इसमें प्रदोष काल, वृषभ लग्न शुभ एवं अमृत चौघड़िया विद्यमान है।
लक्ष्मी कृपा के लिए इन पांच स्थानों पर जलाएं दीपक
धनतेरस के दिन पांच विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी की अत्यंत कृपा होती है। पहला घर के दरवाजे पर, दूसरा तुलसी के पौधे के नीचे, तीसरा घर के आंगन में, चौथा पूजा स्थल पर और पांचवां पीपल के पेड़ में लगाना चाहिए।
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