Guru Pradosh Vrat 2023: आज है गुरु प्रदोष व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

Guru Pradosh Vrat 2023: आज है गुरु प्रदोष व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

धर्मानुसार हर मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और हर काम में सफलता हासिल होती है।

धर्मानुसार हर मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और हर काम में सफलता हासिल होती है।

प्रदोष व्रत 2023 तिथि :-

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 19 जनवरी 2023, दिन गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 20 जनवरी शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 59 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए गुरु प्रदोष व्रत 19 जनवरी को ही रखा जाएगा।

गुरु प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त :-

गुरु प्रदोष की पूजा का शुभ समय 19 जनवरी को शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक है। आप इस मुहूर्त में विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • गुरु प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शिव जी के सामने दीपक प्रज्वलित कर प्रदोष व्रत का संकल्प लें।

  • संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।

  • गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।

  • फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। फिर विधिपूर्वक पूजन करें।

प्रदोष व्रत का महत्व :-

मान्यता है कि गुरु प्रदोष व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस व्रत के पुण्य प्रभाव से नि:संतान लोगों को पुत्र भी प्राप्त होता है।  भगवान शिव शंकर की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण रहता है।

गुरु प्रदोष व्रत कथा :-

पौराणिक मान्यता के अनुसार, वृत्तासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। जब असुरों की सेना हारने लगी तो वृत्तासुर ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिसे देखकर देवता डर गए और देवगुरु बृहस्पति के पास पहुंचें। देवगुरु बृहस्पति ने उन्हें बताया कि “वृत्तासुर पूर्व जन्म में राजा चित्ररथ था। वह भगवान शिव का परम भक्त था। एक दिन उससे कुछ भूल हो गई, जिसकी वजह से देवी पार्वती ने उसे राक्षस बनने का श्राप दे दिया। तब से वह वृत्तासुर बन गया। बृहस्पति देव ने बताया कि वो आज भी शिव जी का परम भक्त है। यदि आप सभी गुरु प्रदोष व्रत को नियमपूर्वक करें, तो वृत्तासुर को हरा सकते हैं। देवगुरु बृहस्पति के कहना मानते हुए देवताओं ने गुरु प्रदोष व्रत रखकर पूजन किया और वृत्तासुर को परास्त कर दिया।

गुरु प्रदोष व्रत पर तिल से करें ये उपाय :-

1. अच्छी सेहत — गुरु प्रदोष व्रत के दिन काले दिन का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान शिव के साथ शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

2. सुखी वैवाहिक जीवन — अगर पति-पत्नी के बीत किसी न किसी बात पर अनबन होती रहती हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन पति-पत्नी गुड़ और तिल से शिवलिंग का अभिषेक करेंष। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में खुशियां आएगी।

3. सुख-समृद्धि — आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ सुख-समृद्धि के लिए गुरु प्रदोष के दिन काले तिल छत में डाल दें, जिससे पक्षी खा लें। ऐसा करने से घर में सुख-शांतिआएगी।

4. ग्रह दोष — कुंडली से शनि, राहु और केतु दोष के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए प्रदोष व्रत के दिन काले तिल से शिवलिंग पर अभिषेक करें।

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