
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन बाबा काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है। इस बार सावन माह की कालाष्टमी तिथि 20 जुलाई 2022, दिन गुरुवार को है।
हिंदू देवी-देवताओं में बाबा भैरव का बहुत ही ज्यादा महत्व है। भैरव का अर्थ होता है भय को हरा कर जगत की रक्षा करने वाला। कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने की परंपरा है।
मान्यता है कि कालभैरव की पूजा करने या स्मरण करने से भी हर तरह के दोष, पाप, ताप और कष्ट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि काल भैरव की पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोना, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है। साथ ही इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है।
ऐसे में आइए जानते हैं बाबा काल भैरव की पूजा विधि और महत्व के बारे में...
बाबा काल भैरव की पूजा विधि :-
कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की पूजा करना विशेष फलदाई होती है। इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भैरव को प्रसन्न करने के लिए उड़द की दाल या इससे निर्मित मिष्ठान जैसे इमरती, मीठे पुए या दूध-मेवा का भोग लगाएं। साथ ही चमेली का पुष्प इनको अतिप्रिय है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भैरव जी का वाहन श्वान है, इसलिए इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से भैरव की कृपा मिलती है। ऐसा करने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं। साथ ही आर्थिक तंगी की समस्या से भी राहत मिलती है।
कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा के साथ भगवान शिव, माता पार्वती और शिव परिवार की पूजा भी करनी चाहिए। भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कालभैरवाष्टक का पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से आदि-व्याधि दूर होती है। पूजा के अंत में काल भैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें।
कालाष्टमी का महत्व :-
मान्यता है कि बाबा काल भैरव सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसे में कालाष्टमी के दिन व्रत रखने और काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार इनकी पूजा-अर्चना करने से राहु केतु के बुरे दोष से भी मुक्ति मिलती है।
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