Ramadan 2023: ईद की नमाज से पहले क्यों दिया जाता है जकात और फितरा? जानें क्या है मान्यता
रमजान का महीना चल रहा है। कुछ ही दिनों में ईद के चांद का दीदार होगा और ईद का त्योहार मनाया जाएगा। रमजान के महीने में मुस्लमान रोजा रखने के साथ नमाज़, तरावीह, कुरान आदि भी पढ़ रहे होंगे। लेकिन इन चीजों के साथ-साथ रमज़ान में जकात और फितरा देने का भी बहुत महत्व है।
जकात भी इस्लाम की 5 बुनियादों यानि स्तंभों में से एक है और रमजान के महीने में जकात देना सुन्नत है। हर मुसलमान के लिए रमजान का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं, पांचों वक्त की नमाज़ अदा करते हैं, जकात देते हैं और अल्लाह की खूब इबादत करते हैं।
जकात और फितरा खाली ईद पर ही दिया जाता है, आइए जानते हैं विस्तार से अगर नहीं तो आइए जानते हैं।
जकात क्या है? :-
किसी भी व्यक्ति की आमदनी का 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं। यानी अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है।
फितरा क्या है? :-
फितरा वो रकम होती है जो खाते-पीते, साधन संपन्न घरानों के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं। ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है। फितरे की रकम भी गरीबों, बेवाओं व यतीमों और सभी जरूरतमंदों को दी जाती है।
जकात और फितरे में अंतर :-
रमजान में जकात देना रोजे रखने और नमाज पढ़ने जैसा ही जरूरी होता है, बल्कि फितरा देना इस्लाम के तहत जरूरी नहीं है। जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं होती। इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से कितना भी फितरा दे सकता है।
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