
जब सूर्य ग्रहण की शुरुआत हो तब मानसिक जप, ग्रहण के मध्यकाल में होम, देव पूजा और मंत्र जप, ग्रहण के मोक्षकाल के समीप दान और ग्रहण समाप्त होने पर स्नान करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय क्या करें :-
सूर्य ग्रहण के समय मानसिक जप, तप करना चाहिए। आप भगवान सूर्य की पूजा कर सकते हैं, सूर्याष्टक स्तोत्र और आदित्य हृदय स्तोत्र आदि सूर्य स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं। साथ ही राशि स्वामी ग्रह का मंत्र जप कर सकते हैं।
तेल या घी में पका हुआ भोजन, दूध, लस्सी, तेल, घी, चटनी, मुरब्बा, अचार, पनीर, मक्खन आदि चीजों में तुलसीदल या कुश डालना चाहिए। ताकि ग्रहण की वजह से ये चीजें दूषित ना हो जाएं। लेकिन सूखे खाद्य पदार्थों में तिल या कुश डालने की आवश्यकता नहीं है।
ग्रहण के समय पूजा पाठ करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है लेकिन मंत्रों का जप और पाठ कर सकते हैं, जिससे ग्रहण के प्रभाव को कम किया जा सकता है। साथ ही ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना भी वर्जित है।
ग्रहण काल में भोजन नहीं करना चाहिए। अगर आप किसी का श्राद्ध करना चाहते हैं तो ग्रहण काल में कर सकते हैं। वहीं अगर कोई बालक या वृद्ध व्यक्ति रोगी है तो उन पर ये नियम लागू नहीं होते।
सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से ना देंगे और ना ही किसी धार्मिक स्थल पर प्रवेश करें। साथ ही बाल या नाखून काटने से बचना चाहिए और तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय यात्रा करने से भी परहेज करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को काटना, बुनना, सोना या सिलना नहीं चाहिए, उनको ईश्वर का जप करना चाहिए। ग्रहण के पूरे समय अपने पास कुश और गंगाजल रखें। साथ ही घर से बाहर ना निकलें और ना ही ग्रहण देखें।
सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें :-
सूर्य ग्रहण के मोक्षकाल यानी समापन के बाद घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, दुकान आदि कार्य स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए और हर जगह गंगाजल का छिड़काव करना उत्तम रहेगा।
सूर्य ग्रहण के बाद सभी जगहों को नमक के पानी से धोना चाहिए, ताकि ग्रहण की नकारात्मक शक्तियां दूर रहें। इसके बाद खुद पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और घर के देवी-देवताओं को भी स्नान करवाना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के बाद दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। ग्रहण के बाद आप तांबे के बर्तन, गेहूं, सूत (रुई), चना, नमक, गुड़ आदि चीजों का दान करना चाहिए। साथ ही गरीब व जरूरतमंद को भोजन करवा सकते हैं।
सूर्य ग्रहण के उपाय :-
सूर्य ग्रहण के समय गुड़, नमक, तांबे के बर्तन आदि चीजों का दान करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय छ नारियल लें और उनको अपने सिर पर वार कर बहते जल में प्रवाहित कर दें।
हनुमान चालीसा का पाठ करें और मांस मदिरा आदि तामसिक चीजों से दूर रहें।
कांसे की कटोरी में घी भरकर तांबे का सिक्का डाल दें, इसके बाद उसमें अपना मुंह देखें और फिर दान कर दें।
आपके आसपास पीपल का पेड़ है तो उसे पानी दें और उसकी सेवा करें।
सूर्य ग्रहण के समय तिल, नींबू, पका केला बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
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