
वैदिक ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति को बेहद शुभ ग्रह माना गया है। गुरु को धन, वाणी, संतान, पति, उच्च पद, मंत्र सिद्धि आदि का कारक माना गया है।
गुरु-सूर्य युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो वो जातक अच्छे दिल वाला होता है। उसकी बुद्धि तीव्र होती है और वह सरकार से लाभ प्राप्त करता है। संतान सुख से युक्त होता है और समाज में मान सम्मान भी उसे मिलता है।
गुरु-चंद्र युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो वह राजा के समान जीवन यापन करता है। ज्ञानी और न्याय प्रिय होता है। उसे समाज में अच्छे कामों के लिए याद किया जाता है। ऐसा जातक जो सोचता है वो करके दिखाता है।
गुरु- बुध युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो वह किसी उच्च पद को प्राप्त करता है। हास्य और अभिनय में रूचि होती है और अपनी वाणी लेखन से प्रसिद्द होता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का ज्योतिषी होता है और अनेक किताबों का लेखक होता है।
गुरु-मंगल युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो जातक पर लक्ष्मी प्रसन्न रहती है। वह साहस और ऊर्जा से भरा हुआ रहता है। जातक बड़ा सेना का अधिकारी या जासूस हो सकता है। तकनीकी रूप से दक्ष होकर लक्ष्य सिद्धि करता है।
गुरु-शुक्र युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो जातक को सदैव स्त्री पक्ष से मदद मिलती है। वह अभिनय और कला में रूचि रखता है। ऐसा जातक पुत्र सुख भोगता है और उसे एक से अधिक जगह से धन प्राप्त होता है।
गुरु-शनि युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो जातक उपदेशक होता है। वह ज्ञानी होगा और उसे मंत्रों की समझ होगी। वृद्ध होने पर उच्च पद मिलता है। कुटुंब का सुख और स्थायी संपत्ति का भोग करता है। गूढ़ विद्या को जानने वाला होता है।
गुरु-राहु युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो गुरु चांडाल दोष होता है। ऐसे में जीवन में गलत निर्णय लेकर नुकसान होता है। मित्रों से लाभ नहीं होता। अगर शुभ प्रभाव हो तो जातक राजनीति में उच्च पद प्राप्त करने वाला और शत्रुहंता होगा।
गुरु-केतु युति :-
किसी जातक की कुंडली में यह युति हो तो जातक बेहद भावुक होता है। वो हमेशा दूसरों की मदद करने की सोचता है और साफ दिल का होता है। ईश्वर की सेवा करने वाला और संतों का आदर करता है। ऐसा जातक वेदपाठी और ज्योतिषी भी होता है।
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