'अमेरिका के दुश्मन देशों को देने वाले फंड में करेंगे कटौती', राष्ट्रपति उम्मीदवार निक्की हेली ने किया ऐलान

हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया था कि अमेरिका में उनको पसंद करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और उनकी अप्रूवल रेटिंग यानी उन्हें पसंद करने वालों की संख्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी ज्यादा है।
'अमेरिका के दुश्मन देशों को देने वाले फंड में करेंगे कटौती', राष्ट्रपति उम्मीदवार निक्की हेली ने किया ऐलान

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए  उम्मीदवारी का एलान करने वाली रिपब्लिकन पार्टी की नेता निक्की हेली ने अपने चुनाव प्रचार की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया था कि अमेरिका में उनको पसंद करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और उनकी अप्रूवल रेटिंग यानी उन्हें पसंद करने वालों की संख्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी ज्यादा है। अपनी इस बढ़ती लोकप्रियता के बीच हेली ने अमेरिका की मौजूदा बाइडन सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

हेली ने शनिवार को बाइडन प्रशासन की ओर से विदेश भेजी जा रही मदद को लेकर निशाना साधा। न्यूयॉर्क पोस्ट में एक ओपिनियन लेख में उन्होंने बताया कि किस तरह अमेरिका हर साल 46 अरब डॉलर खर्च कर रहा है, जो कि चीन, पाकिस्तान और इराक जैसे देशों को जा रही है। उन्होंने कहा, "मैं अपने दुश्मनों को मदद के तौर पर भेजी जा रही फंडिंग को पूरी तरह रोक दूंगी। बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान सैन्य सहायता भेजना जारी रखा है और अमेरिकी टैक्सदाताओं का पैसा अभी भी कम्युनिस्ट चीन के पास कुछ हास्यास्पद जलवायु परिवर्तन से जुड़े कार्यक्रमों के नाम पर जा रहा है।"

उन्होंने कहा, "हम बेलारूस तक को मदद भेजते हैं, जो कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सबसे करीबी दोस्त है। हम कम्युनिस्ट देश क्यूबा को भी मदद भेजते हैं, जहां की सरकार ने हमें आंतकवाद का प्रायोजक करार देती है।" हेली ने यह भी कहा कि पाकिस्तान और इराक को मदद भेजी जाती है, जहां अमेरिका का विरोध होता है और आतंकी संगठन सक्रिय हैं।

हेली ने अमेरिका की पिछली सरकारों और राष्ट्रपतियों पर धारदार हमले करते हुए कहा कि यह सिर्फ जो बाइडन की कहानी नहीं है। यह दोनों पार्टियों (डेमोक्रेट्स-रिपब्लिकन) के नेतृत्व में दशकों से हो रहा है। हमारी विदेशी मदद की नीति भूतकाल में ही अटकी है। यह एक तरह से ऑटो-पायलट मोड पर है, जिसमें मदद पाने वाले देशों के अमेरिका के प्रति बर्ताव को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया जाता है।

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