
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti Conversion Law) के खिलाफ एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार (Karnataka Govt) को नोटिस जारी किया है। याचिका में धर्मांतरण कानून को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने याचिका के संबंध में आपत्ति दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
याचिका में सवैधानिक वैधता पर उठाया सवाल
याचिका में दावा किया गया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून (धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021) ने असहिष्णुता का प्रदर्शन किया और इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया।
याचिका में दावा- लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला
यह याचिका नई दिल्ली से ऑल कर्नाटक यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह बिल देश को एकजुट करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।
आपत्तियां दर्ज कराने के लिए चार सप्ताह का समय
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस जेएम खाजी की अध्यक्षता वाली पीठ ने गृह विभाग के सचिव और कानून विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया। पीठ ने उनसे चार सप्ताह के भीतर आपत्तियां दर्ज करने को कहा है।
धर्मांतरण विरोधी विधेयक के तहत बनाए गए कानून किसी व्यक्ति की पसंद के अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार और धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
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