
कभी भी मकान किराए पर लेने से पहले किरायदार और मकान मालिक के बीच एक एक एग्रीमेंट साइन होता है बावजूद इसके आए दिन किरायदार और मकानमलिक में किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा लगा ही रहते है। लेकिन क्या आप जानते है मकान मालिक के साथ किरायदारों के भी कुछ नियम होते है जिससे ज्यादातर लोग अंजान है। तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे है।
किराएदार को मिलने वाले अधिकार
किसी भी किराएदार को दो महीने से ज्यादा पेशगी देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
Kirayedaro ke rights: अगर मकान किसी कमर्शियल उद्देश्य से लिया जा रहा है तो छह माह का एडवांस देना होगा।
मकान खाली करने के एक माह के भीतर मकानमालिक को रिफंड लौटाना जरूरी है।
मकान मालिक किराएदार को नोटिस दिए बगैर किराया नहीं बढ़ा सकता।इसके लिए कम से कम तीन माह पहले मकान मालिक को किराएदार को नोटिस देना होगा।
Kirayedaro ke rights: किराए की रकम दोनों की मर्जी से ही तय होगी।
अगर एग्रीमेंट पहले ही हो चुका है तो मकान मालिक एग्रीमेंट की अवधि से पहले किराया नहीं बढ़ा सकता।
किराया वसूली के लिए बिजली पानी की सप्लाई रोकना या किराएदार पर दबाव बनाने के लिए बिजली पानी की सप्लाई रोकना भी गलत है।
किराएदार किसी भी मकान मालिक पर एग्रीमेंट में नई शर्त जोड़ने का दबाव नहीं बना सकता।
किराएदार अचानक किसी भी दिन मकान खाली नहीं कर सकता।
एग्रीमेंट के तहत किराएदार को घर खाली करने से पहले नोटिस देना होगा।
जिस तरह मकान मालिक को रिफंड की रकम समय पर लौटाना जरूरी है उसी तरह किराएदार को भी तयशुदा समय तक किराया देना जरूरी है।
अगर किराएदार किराया देने में बहुत लेट करता है या मकान को नुकसान पहुंचाता है तो मकान मालिक को उसका मुआवजा मांगने का हक है।
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