
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए कहा कि अब यह समय की जरूरत बन गई है। उन्होंने कहा कि रसायनों और उर्वरकों के उपयोग के कारण खाद्यान्न उत्पादन की लागत में जोरदार इजाफा हुआ है।
वैज्ञानिक तरीकों की पहचान जरूरी
अमिताभ कांत ने नीति आयोग की तरफ से नवप्रवर्तन कृषि पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब गेहूं और चावल का निर्यातक बन चुका है। उन्होंने आगे कहा कि हमें इस समय इसकी जरूरत है और यह महत्वपूर्ण है कि हम नए वैज्ञानिक तरीकों की पहचान कर यह सुनिश्चित कर सकें कि किसान इससे सीधे कैसे लाभान्वित हो सकें और उनकी आय में वृद्धि कैसे हो। इस कार्यक्रम के दौरान नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए कई सारी प्रणालियां मौजूद हैं, जिन्हें अपनाया जा सकता है।
उवर्रकों के उपयोग ने बढ़ाई लागत
कांत ने आगे संबोधित करते हुए कहा कि लगातार उर्वरकों और रसायनों के बढ़ते उपयोग के कारण खाद्यान्न उत्पादन की लागत में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही सब्जियां उत्पादित करने की लागत भी बढ़ गई है। इसका असर इनके भाव में महंगाई के तौर पर देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त कृषि प्रणाली है। से कृषि पारिस्थितिकी पर आधारित सिस्टम के तौर पर देखा जाता है। इलिए हमें प्रत्येक तरीके के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को समझना होगा।
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