इंग्लिश बोलना समाज में बुराई या सबसे बड़ी जरूरत...!
आज के समय में इंग्लिश महज एक लैंगवेज नहीं बल्कि जरूरत बन चुकी है. अगर आपको इंग्लिश बोलना नहीं आता, इसका मतलब आप समाज की उस श्रेणी में नहीं आते हैं, जो प्रगतिशील है. आज के प्रोग्रेसिव समाज में इंग्लिश न बोल पाना जैसे हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है. क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो कोई बच्चा इस छोटी सी बात के लिए खुदकुशी नहीं करता.
कानपुर में एक 9वीं क्लास के बच्चे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. लड़के का नाम आशुतोष था. वह जुगल देवी सरस्वती विद्या मंदिर का छात्र था. आशुतोष ने सुसाइड के पहले अपने पास एक नोटबुक रखा था, जिसके ऊपर पुलिस को शक हो रहा है कि मामला किसी लड़की का था. दरअसल नोटबुक के आखिरी में उसने एक छात्रा का नाम लिखा है. बेड पर उसी छात्रा की डायरी भी मिली है. डायरी में एक संस्था की ओर से आयोजित टैलेंट डेवलेपमेंट परीक्षा का प्रवेश पत्र भी था.

आशुतोष ने नोटबुक के आखिरी पेज पर लिखा है कि, ‘हर इंसान अपने दोस्तों की तुलना में अपनी क्षमताओं को जानता है. मुझे अच्छे दोस्तों की संगत मिली जो काफी सहयोगी भावना के हैं, लेकिन कभी-कभी मुझे उनके सामने शर्मिंदा होना पड़ता है, जब वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. इसके पहले मेरी पढ़ाई तेलुगू मीडियम स्कूल में हुई. इस वजह से अंग्रेजी बोलने में बच्चों को हिचक महसूस होती थी, लेकिन वहां इसके अलावा कोई और स्कूल भी नहीं था. मैं तुमसे वादा करता हूं कि बहुत जल्द अच्छी अंग्रेजी बोलने लगूंगा.’

इसके बाद आशुतोष ने अपने नाम से जोड़कर छात्रा का नाम लिखा है और फिर सिगनेचर किया है. पुलिस का मानना है कि वह छात्रा से दोस्ती करना चाहता था, इस वजह से वह अंग्रेजी बोलना सीख भी रहा था. अब पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि आखिर छात्रा की डायरी आशुतोष के पास कैसे और क्यों आई, क्योंकि ये डायरी इस घटना में कई सारे सवाल खड़े कर रही है.
बता दें कि आशुतोष की मौत की जानकारी होते ही हॉस्टल सहित पूरे स्कूल के बच्चे सहम गए. उसके सारे दोस्त और हॉस्टल के अन्य बच्चे रोने लग गए. पुलिस आशुतोष की अलमारी और बॉक्स खोलकर उसके कपड़ों और सामान की छानबीन कर रही थी. पुलिस जो भी सामान बाहर निकालती दोस्त उन्हें ऐसे छूते जैसे वे अपने दोस्त को ही छू रहे हों. घटना के बाद स्कूल की छुट्टी कर दी गई.
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