
मैरिटल रेप यानी पति के पत्नी से जबरन संबंध बनाने को दुष्कर्म के दायरे में लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 21 मार्च को सुनवाई करेगा। वहीं केंद्र सरकार को 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मुद्दे के सामाजिक प्रभाव होंगे और उन्होंने राज्य से इस मामले पर इनपुट साझा करने के लिए कहा था।
वर्तमान में भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद 2, जो दुष्कर्म को परिभाषित करती है, में कहा गया है कि एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाना तब तक दुष्कर्म नहीं है जब तक कि पत्नी की आयु 15 वर्ष से कम न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर चार्जशीट दायर करने पर कोई विशेष और मजबूत मामला बनता है तो आरोपी को दी गई डिफॉल्ट जमानत रद्द की जा सकती है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि मात्र आरोप पत्र दायर करने से रद्दीकरण नहीं होगा जब तक कि अदालत इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाती कि एक मजबूत मामला बनता है कि अभियुक्त ने गैर जमानती अपराध किया है।
पीठ ने कहा कि किसी आरोपी को दी गई जमानत गुण-दोष के आधार पर रद्द की जा सकती है, अगर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए कोई विशेष और मजबूत आधार बनाया जाता है और अदालतों को जमानत रद्द करने की याचिका पर विचार करने से नहीं रोका जाता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विकास महाजन की खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा, याचिकाकर्ता रिकॉर्ड के सामने कोई स्पष्ट त्रुटि दिखाने में असमर्थ है। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है।
Keep up with what Is Happening!