
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भतीजे को 2019 में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है। संगठित अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कानून महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत एक बिल्डर को कथित तौर पर धमकी देने के लिए मामला दर्ज किया गया था। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने निचली अदालत से मामले में आरोप तय करने के लिए कहा है। साथ ही दाऊद के भतीजे को जमानत के लिए नए सिरे से आवेदन करने की अनुमति दी है।
बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट दिसंबर 2021 के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें मोहम्मद रिजवान इकबाल हसन शेख इब्राहिम कास्कर की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हमें इस स्तर पर आवेदक को जमानत देने का कोई कारण नहीं दिखता है। जांच पूरी हो गई है और आरोप पत्र दायर किया गया है। हम अदालत को आज से छह महीने के भीतर आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश देते हैं। फिर उसके लिए अनुरोध करने के लिए खुला होगा इस अदालत के समक्ष जमानत। एसएलपी खारिज कर दी जाती है।"
कासकर को जुलाई 2019 में गिरफ्तार किया गया था। 10 अक्टूबर 2019 को पुलिस ने मकोका के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। मामले के अनुसार, बिल्डर का इलेक्ट्रॉनिक सामान आयात का भी व्यवसाय था। उसने कहा कि उसके बिजनेस पार्टनर पर 15 लाख रुपये का बकाया है। जून 2019 में उसे गैंगस्टर छोटा शकील की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय कॉल आया। फहीम मचमच ने उसे पैसे वापस नहीं मांगने के लिए कहा।
उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कोई जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि केस रिकॉर्ड अपराध में कासकर की संलिप्तता को दर्शाता है। बिल्डर की शिकायत पर पाइधोनी थाने में शकील, कासकर व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
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