टूलकिट मामला: दिशा रवि को मिली जमानत, एक लाख रुपये का मुचलका भरने की शर्त पर मिली बेल
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को ग्रेटा थनबर्ग 'टूलकिट' साजिश मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने आरोपी को एक-एक लाख रुपये के दो मुचलके की शर्त पर जमानत देने की अनुमति दी।
20 फरवरी को तीन घंटे की जमानत की सुनवाई के दौरान, पुलिस ने कहा था कि 'टूलकिट' भारत को बदनाम करने और हिंसा भड़काने के लिए डिजाइन किया गया था।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अदालत में कहा, "अपनी भागीदारी को छिपाने के लिए पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और सिख्स फॉर जस्टिस ने गतिविधि को अंजाम देने के लिए दिशा रवि को एक फ्रंट के रूप में इस्तेमाल किया।"
साथ ही उन्होंने कहा कि ये संगठन खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े हुए हैं।
वहीं, दिशा रवि की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि अगर किसानों के आंदोलन का समर्थन करना देशद्रोह है, तो बेहतर है कि वह जेल में रहे।
चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने धर्मेंद्र राणा ने दिशा रवि को ज़मानत देते हुए कहा, 'इस मामले में पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, मुझे कोई कारण नज़र नहीं आता कि 22 साल की लड़की जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो; उसे जेल में रखा जाए।'
कोर्ट ने दिशा रवि को ज़मानत देते हुए कहा ऋग्वेद का जिक्र किया। जज ने कहा, 'आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतोsदब्धासो अपरीतास उद्भिद: यानी हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहे, जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके और वो अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले न हो।'
जज ने कहा, 'वॉट्सऐप ग्रुप बनाना, टूलकिट एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है। महज वॉट्सऐप चैट डिलीट करने से PJF संगठन से जोड़ना ठीक नहीं। ऐसा सबूत नहीं मिले हैं, जिससे उसकी अलगाववादी सोच साबित हो सके। 26 जनवरी को शांतनु के दिल्ली आने में कोई बुराई नहीं है।'
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि आपके पास क्या सबूत है कि टूलकिट और 26 जनवरी को हुई हिंसा में कोई कनेक्शन है। इस पर दिल्ली पुलिस ने बताया था कि अभी जांच चल रही है। हमें इनकी तलाश करनी है।
वहीं, दिशा रवि के वकील ने इन सभी आरोपों को नकराते हुए कहा था कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है कि वह प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस का हिस्सा है।
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