शहर के प्राइवेट स्कूल, ज़मीन क़ब्ज़े और बिना नक़्शे के निर्माण से लेकर काफी कुछ.. शिक्षा माफिया और उसकी पहुँच - भाग 1

इन स्कूलों में मीडिया कर्मियों और प्रशासन के ख़ास लोगों को फ़ीस में भी बढ़िया डिस्काउंट मिलता है, कुछ ख़ास अफ़सरों की पत्नियों को भी अच्छी तनख़्वाह पर रख लिया जाता है जिसमें ज़रूरत पर काम आ जाएँ ।
शहर के प्राइवेट स्कूल, ज़मीन क़ब्ज़े और बिना नक़्शे के निर्माण से लेकर काफी कुछ.. शिक्षा माफिया और उसकी पहुँच - भाग 1

शिक्षा माफ़ियों की बात करें तो ये इंटेलेक्चुअल माफिया सब पर भारी पड़ता है क्यूँकि ये सारे क़ानून अपने पुराने और नये स्टूडेंट नेटवर्क से ध्वस्त करने की ताक़त रखता है । शहर के प्राइवेट स्कूल ज़मीन क़ब्ज़े, बिना नक़्शे के निर्माण से लेकर हर तरह के कृत्य करते हैं, इनका प्रशासन के साथ तानाबाना ज़बर्दस्त है और अच्छे पैसे खर्च करके अपना काम निकाल लेते हैं ! 

इन स्कूलों में मीडिया कर्मियों और प्रशासन के ख़ास लोगों को फ़ीस में भी बढ़िया डिस्काउंट मिलता है, कुछ ख़ास अफ़सरों की पत्नियों को भी अच्छी तनख़्वाह पर रख लिया जाता है जिसमें ज़रूरत पर काम आ जाएँ ।

इन स्कूलों का व्यापार किताब, कपियों और ड्रेस में भी ज़बरदस्त है । ये नेताओं की रैलियों में अपनी बसें भी मुफ़्त दे कर उनको साध के रखते हैं । 

इन सब में अगर लखनऊ में ख़ास उदाहरण लें तो सीएमएस ग्रुप, लखनऊ पब्लिक स्कूल, बाबू बनारसी दास, एस आर ग्रुप कुछ ख़ास हैं । वैसे इनकी संख्या बहुत ज़्यादा है ।

इससे अलग अगर आप कॉन्वेंट स्कूलों की ओर देखें तो बहुत प्रेशर में रहते हैं क्यूँकि दमदार लोग रोज़ नये तरीक़े से दबाव डालते हैं - कुछ साल पहले एक बड़े अधिकारी के बच्चों के एडमिशन ना होने के कारण एक कॉन्वेंट स्कूल के सामने अभिभावकों की गाड़ियों का खूब चलान करवाना और उठवाना शुरू कर दिया जिसने अभिभावकों का बच्चों को स्कूल छोड़ना और लेना हराम कर दिया । 

इस सीरीज में हम ऐसी हर समस्या पर प्रकाश डालेंगे और इस इंटेलेक्चुअल माफिया को बेनक़ाब करेंगे.

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