
केन्द्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए हो रहे कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट (सीयूईटी) की परीक्षा में मंगलवार को छात्र-छात्राओं और अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया। सीयूईटी की स्थगित परीक्षाएं 30 अगस्त से शुरू हुईं। जिसमें ऐसे परीक्षा केन्द्र बना दिए गए है, जहां कोई व्यवस्था ही नहीं थी।
जो परीक्षा सुबह नौ बजे होनी थी वो रात आठ बजे तक कराई गई। महानगर स्थित कॉसमो फाउण्डेशन परीक्षा केन्द्र पर बेहद लापरवाही देखने को मिली।
लापरवाही इस कदर थी कि परीक्षा के दिन ही परीक्षा केन्द्र बदलना पड़ा और महानगर से बक्शी का तालाब तकरीबन 20 किलोमीटर दूर जाकर बच्चों को परीक्षा देनी पड़ी। जो परीक्षा दोपहर में 12.15 खत्म हो जानी चाहिए थी दूसरे परीक्षा केन्द्र पर वह परीक्षा अभ्यर्थियों ने रात 8 बजे तक दी।
महानगर के परीक्षा केन्द्र पर तकरीबन 125 अभ्यर्थियों का केन्द्र था। सुबह 8.30 रिपोर्टिंग का समय था। लखनऊ समेत आसपास जिलों से अभ्यर्थी सीयूईटी परीक्षा देने पंहुचे थे लेकिन यहां न कम्पयूटर चले न ही परीक्षा हो पायी।
केन्द्र समन्वयक और अन्य लोग बार-बार अभिभावकों से यही कहते रहे कि परीक्षा थोड़ी देर में शुरू होगी लेकिन दो बजे तक परीक्षा शुरू नहीं करायी जा सकी। परीक्षा केन्द्र में नोटिस चस्पा कर बताया कि तकनीकी कारणों की वजह से परीक्षा में देर हो रही है।
परीक्षा देने वाले बच्चे दो बजे सेंटर से बाहर आएंगे। जबकि अन्दर कुछ छात्रों को छोड़ किसी भी परीक्षा नहीं हुई। सुबह से भूखे प्यासे परीक्षा देने पंहुचे अभ्यर्थियों के अभिभावक को सब्र टूट गया और उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया। स्थानीय पुलिस को आकर हस्तक्षेप करना पड़ा।
पुलिस के पहुंचने के बाद पता चला कि कुछ बच्चों को छोड़कर किसी की परीक्षा हुई ही नहीं है। परीक्षा से जुड़े लोगों से बात की गई और बच्चों को परीक्षा केन्द्र बदला गया। परीक्षा केन्द्र महानगर से सीधे 20 किलोमीटर दूर बीकेटी में जीसीआरजी को बनाया गया।
अब सबसे बड़ा सवाल ये था कि इतनी दूर 100 से अधिक बच्चों को भेजा कैसे जाए। पुलिस की मदद से बच्चों को ऑटो से बीकेटी भेजने की व्यवस्था की गई।
बीकेटी में बने केन्द्र के व्यस्थापकों ने भी पहले हाथ खड़े कर दिए क्योंकि उनके पास भी इतने बच्चों के लिए कम्पयूटर नहीं थी। आनन-फानन में कम्प्यूटर का इंतजाम किया गया और शाम पांच बजे तक बच्चों को इंट्री दी गई।
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