प्रधानमंत्री मोदी ने किये भगवान केदारनाथ-बद्रीनाथ के दर्शन, देश की खुशहाली की कामना की

प्रधानमंत्री मोदी ने चमोली जिले के माणा गांव में विभिन्न संपर्क परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने किये भगवान केदारनाथ-बद्रीनाथ के दर्शन, देश की खुशहाली की कामना की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तराखंड दौरे पर हैं। उन्होंने सुबह पहले केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किए। इसके बाद वह बदरीनाथ धाम पहुंचे हैं। यहां उन्होंने सबसे पहले भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर पूजा-अर्चना की तथा देश की खुशहाली की कामना की।

धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल की अगुवाई में प्रधानमंत्री मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचे और मुख्य पुजारी ने पूजा-अर्चना करवाई। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मंदिर परिसर के अन्य मंदिरों में भी पूजा-अर्चना करते हुए धर्माधिकारी से इन मंदिरों के बारे में जानकारी ली।

भगवान बदरीनाथ के दर्शन के बाद प्रधानमंत्री मंदिर के मुख्य गेट से बाहर निकले तथा श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। इसके बाद वहां से उन्होंने बदरीनाथ धाम में चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इसके बाद प्रधानमंत्री सीधे माणा पहुंचे, जहां पर प्रधानमंत्री के स्वागत में कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में दर्शनों के बाद सीमावर्ती गांव माणा में विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक कनेक्टिविटी राष्ट्र रक्षा की भी गारंटी होती है। इसलिए बीते 8 सालों से हम इस दिशा में एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को बेहतरीन और चौड़े हाई-वे से जोड़ा जा रहा है। सागरमाला परियोजना से अपने सागर तटों की कनेक्टिविटी को सशक्त किया जा रहा है। हम अब पर्वतमाला का काम आगे बढ़ाने वाले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने चमोली जिले के माणा गांव में विभिन्न संपर्क परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक बीते आठ वर्षों में उनकी सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने के कार्य में अभूतपूर्व विस्तार दिया है।

2014 से अबतक सीमा क्षेत्र में 7 हजार किमी की नई सड़कों का निर्माण हुआ है जिसमें पुल और टनल का काम भी तेजी से हो रहा है। उनकी सरकार ने सीमा पर सड़क बनाने के लिए केन्द्र से अनुमति लेने की बाध्यता समाप्त कर दी है। उत्तराखंड और हिमाचल में रोपवे का काम तेजी से शुरू हो गया है। वे चाहते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास का काम उत्सव बने और यहां से छोड़कर गए लोगों का गांव लौटने का मन कर करे। उन्होंने ऐसा ही गुजरात में किया।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार प्रयास कर रही है कि बार्डर के गांवों में कुछ न कुछ होना चाहिए। हम प्रयास कर रहे हैं कि लोग बद्री विशाल से माणा पास गए बिना लौटें नहीं। उनकी अपेक्षा है कि हिमाचल के लोग भी उत्तराखंड के विकास को देखते हुए डबल इंजन सरकार की प्रेरणा लेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आस्था के केंद्र केवल एक ढांचा नहीं बल्कि हमारे लिए प्राण वायु की तरह है। वह शक्तिपुंज की तरह है जो कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं। अयोध्या में भव्य राममंदिर बन रहा है।

गुजरात के पावागढ़ में मां कालिका के मंदिर से लेकर विन्ध्याचल देवी के कॉरिडोर तक भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है। उन्होंने कहा कि आस्था और आध्यात्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण जैसे एक महत्वपूर्ण पक्ष पर कभी चर्चा नहीं होती। यह पक्ष है पहाड़ के लोगों के जीवन में आसानी लाना और युवाओं को रोजगार देना।

लोगों के जीवन को भी आसानी मिलती है। प्रधानमंत्री ने पर्यटकों से अपील की कि वह अपने पर्यटन खर्च का 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं। पहला अपनी आस्था पर गर्व और दूसरा विकास के लिए हर संभव प्रयास करना। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह की मुक्ति का आह्वान किया था।

लंबे समय तक हमारे आस्था स्थलों के विकास को एक नफरत भरे भाव से देखा जाता रहा। विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थलों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि माणा गांव को भारत के अंतिम धाम के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनके लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है। उन्होंने कहा कि पहले सीमावर्ती गावों के लोगों की अपेक्षाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता था अब हमने उनको साथ लेकर प्रगति के महान लक्ष्य की ओर बढ़ने का संकल्प लिया है।

उन्होंने कहा, “पहले देश के विकास में जिनके योगदान को महत्व नहीं दिया गया, हमने उन्हीं को साथ लेकर प्रगति के महान लक्ष्यों की ओर बढ़ने का संकल्प लिया। पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया। पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी, हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया।”

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