उत्तराखंड में लें मालदीव का मजा, कम बजट में Floating Huts समेत इन वाटर एक्टिविटी का उठाएं लुत्फ

जी हां, आप उत्‍तराखंड के टिहरी में फ्लोटिंग हट में रहकर मालदीव जैसा अहसास पा सकते हैं। यहां से आपको पहाड़ और खूबसूरत वादियां देखने को मिलेंगी। इतना ही नहीं यहां आप वॉटर स्‍पोर्ट्स का मजा भी ले सकते हैं।
उत्तराखंड में लें मालदीव का मजा, कम बजट में Floating Huts समेत इन वाटर एक्टिविटी का उठाएं लुत्फ

मालदीव कई लोगों का ड्रीम डेस्टिनेशन भी बन चुका है। लेकिन हर कोई इतना खर्च अफोर्ड नहीं कर सकता। ऐसे में आप उत्‍तराखंड के मिनी मालदीव (Mini Maldives) पर आकर फ्लोटिंग हट (Floating Huts) का आनंद ले सकते हैं।

जी हां, आप उत्‍तराखंड के टिहरी में फ्लोटिंग हट में रहकर मालदीव जैसा अहसास पा सकते हैं। यहां से आपको पहाड़ और खूबसूरत वादियां देखने को मिलेंगी। इतना ही नहीं यहां आप वॉटर स्‍पोर्ट्स का मजा भी ले सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में :

  • देहरादून से टिहरी पहुंचने में ढाई घंटे का समय लगता है। यहां प्राकृति ने खूब नेमत बरसायी है।

  • यहां गंगा और भागीरथी नदी के ऊपर टिहरी बांध बनाया गया है। जहां 'फ्लोटिंग हट्स एंड इको रूम्स' (Floating Huts) बनाए गए हैं।

  • इसमें पर्यटकों के रहने के साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था भी होती है। टिहरी झील में आप कई वॉटर स्‍पोर्ट्स एक्टिविटीज कर सकते हैं।

  • यहां आप बोटिंग, बनाना राइड और पैरासेलिंग कर सकते हैं और कयाकिंग, बोटिंग, जोरबिंग, बनाना वोट सवारी, बैंडवेगन वोट सवारी, हॉटडॉग सवारी, पैराग्लाइडिंग और जेट स्कीइंग भी कर सकते हैं।

  • यहां हर साल लाखों की संख्‍या में पर्यटक पहुंचते हैं और सुनहरी यादों को समेट कर अपने साथ ले जाते हैं। अगर आप भी यहां घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो फोटो क्लिक करवाना ना भूलें।

  • पर्यटन स्‍थल होने के साथ ही टिहरी अब प्री वेडिंग फोटोशूट डेस्टिनेशन के रूप में भी उभर रहा है। यहां की वादियों के बीच जोड़ों को फोटोशूट करवाना बेहद पसंद आ रहा है।

कैसे कराएं फ्लोटिंग हट की बुकिंग

  • टिहरी फ्लोटिंग हट के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं।

  • टिहरी पहुंचने के लिए आपके पहले देहरादून या ऋषिकेश पहुंचना होगा।

  • यहां से आप टैक्‍सी या अपने वाहन से टिहरी पहुंच सकते हैं।

आठ रिएक्टर की तीव्रता तक के भूकंप को झेल सकता है बांध

टिहरी बांध रॉकफिल तकनीक से बना अपनी श्रेणी का देश का सबसे ऊंचा बांध है। इसका निर्माण वर्ष 1978 में शुरू हुआ और 2006 में बांध से बिजली उत्पादन शुरू हो गया। रॉकफिल तकनीक से बना होने के कारण यह बांध आठ रिएक्टर स्केल तीव्रता तक के भूकंप को झेल सकता है।

बांध का निर्माण भागीरथी नदी में 260 मीटर की ऊंचाई पर हुआ है। टिहरी झील 42 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है। टिहरी बांध का पानी रोकने वाली दीवार में सिर्फ मिट्टी-पत्थर भरे गए हैं।

मिट्टी और पत्थर से बने इस बांध पर भूकंप या अन्य कोई आपदा आने से दरार पड़ने का खतरा नहीं है। बांध की दीवार के शीर्ष की चौड़ाई 30.5 मीटर है और लंबाई 575 मीटर है। इसके ऊपर से ही वाहनों की आवाजाही होती है।

वर्ष 2013 में जब केदारनाथ आपदा आई थी तक टीएचडीसी प्रबंधन ने टिहरी बांध से पानी छोड़ना बंद कर दिया था। जिसे आगे के क्षेत्रों में आपदा का असर नहीं पड़ा।

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