
शादी के बाद अगर कपल्स कुछ वक्त एक-दूसरे के साथ गुजारना चाहते हैं तो उनकी प्लानिंग में कंडोम बहुत ही ज्यादा मददगार साबित होता है। फैमिली प्लानिंग के साथ ही कंडोम सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) से भी आपको बचाता है।
लेकिन आज तक आपने ज्यादातर मेल कंडोम्स के बारे में देखा या सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मार्किट में महिलाओं के यूज के लिए भी कंडोम आते हैं?
दरअसल हमारे देश में इंटिमेट हेल्थ को मजबूती देने वाले फीमेल कंडोम (Female Condom) के इस्तेमाल को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं है। देश में इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही किया जाता है।
आपको बता दें कि महिला कंडोम की बनावट और उपयोगिता पर एक शोध किया गया था। शोधकर्ता ने युवा महिलाओं के बीच महिला कंडोम की स्वीकार्यता और उपयोगिता पर स्टडी की। शोधकर्ताओं के मुताबिक गर्भनिरोधक के रूप में महिलाएं कंडोम का इस्तेमाल करती तो हैं, लेकिन उस अनुपात में नहीं।
कंडोम 4 प्रकार के होते हैं :-
1. लेटेक्स, प्लास्टिक या लैम्ब स्किन से तैयार कंडोम। (latex, plastic, or lambskin condom)
2. चिकनाई वाला लुब्रिकेंट कंडोम (lubricant condoms)। इस पर फ्लूइड की एक पतली परत होती है।
3. स्पर्मीसाइड कंडोम (Spermicide condom), इस पर नॉनऑक्सिनॉल-9 केमिकल लगा होता है। इससे स्पर्म खत्म हो जाते हैं।
4. रिब्ड और स्टडेड बनावट वाले कंडोम भी होते हैं। लेकिन ज्यादातर महिलाएं लेटेक्स से तैयार कंडोम का इस्तेमाल करती हैं।
चारों कंडोम को 2 भागों में बांटा जा सकता है, एफ सी 1 (FC1) और एफ सी 2(FC2)। एफ सी 1 महिला कंडोम सॉफ्ट और पतले प्लास्टिक से बने होते हैं।
इसे पॉलीयुरेथेन (polyurethane) कहा जाता है। इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया है। इसे एफसी 2 (FC2) महिला कंडोम से बदल दिया गया है। यह कंडोम सिंथेटिक लेटेक्स (synthetic latex) से बना होता है।
फीमेल कंडोम का कितना है असर :-
महिला कंडोम वजाइना के अंदर पहना जाता है, यह स्पर्म को गर्भ में जाने से रोकने का काम करता है। बता दें कि यह कंडोम लगभग 75% – 82% तक प्रभावी होता है। शोधकर्ता के मुताबिक अगर महिला कंडोम का सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो महिला कंडोम 95% तक प्रभावी हो सकते हैं।
महिला कंडोम कितने स्वीकार्य हैं? :-
स्टडी के मुताबिक महिला कंडोम कम इस्तेमाल किया जाता है। शोध में पाया गया कि महिला कंडोम के इस्तेमाल में महिलाओं की स्थिति और रिश्ते में निर्णय लेने की क्षमता बहुत मायने रखती है। अगर महिला निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होती है, तो फीमेल कंडोम का इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
स्टडी के मुताबिक महिला कंडोम के इस्तेमाल से अनचाही प्रेग्नेंसी, यौन संचारित संक्रमणों (STD) से सुरक्षा, महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की भावना में वृद्धि और साफ़-सफाई के भी फायदे मिलते हैं। लेकिन महिलाओं ने बताया कि सेक्स के दौरान सेंसेशन की कमी के कारण फीमेल कंडोम का इस्तेमाल कम किया जाता है।
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