
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुंबई के पूर्व कमिश्नर परम बीर सिंह से जुड़ी महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के खिलाफ पांच प्राथमिकी की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार की ओर से 17 मई को पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम. सुंदरेश की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि संबंधित सामग्री पर गौर करने के बाद हमें पूर्व आदेश पर पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं नजर आती। 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज सभी मामलों की जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। दरअसल, ऐसा करने के पीछे शीर्ष कोर्ट का मकसद था कि परमबीर सिंह और तत्कालीन महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के बीच लड़ाई के बाद की सच्चाई सामने आ सके।
अवमानना याचिका पर 2 अगस्त को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि झारखंड सरकार व प्रदेश के डीजीपी नीरज सिन्हा के खिलाफ अवमानना याचिका पर वह 2 अगस्त को सुनवाई करेगा। आरोप है कि 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होने के बाद नीरज सिन्हा अवैध ढंग से डीजीपी के पद पर बने हुए हैं। अवमानना याचिका में झारखंड सरकार को भी एक वादी बनाया गया है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम लाल दास ने बताया कि इस मामले का उल्लेख कई बार किया जा चुका है। उन्होंने मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने की अपील की। इस पर पीठ ने कहा, हम इस मामले को 2 अगस्त को सुनेंगे। दास ने कहा, यह मामला झारखंड के डीजीपी के अवैध पद पर बने रहने से संबंधित है। यह प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत के पहले के फैसले का उल्लंघन है।
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